बूढ़ा, लाचार, इंसान अक्सर अकेला रह जाता है। मेरी तन्हाई में ख़्वाबों के सिवा कुछ भी नहीं, मंज़र लखनवी टैग : दिल शेयर कीजिए सरकती जाए है रुख़ से नक़ाब आहिस्ता आहिस्ता “आँख में पानी रखो होंटों पे चिंगारी रखो ये न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल-ए-यार होता دل کی https://youtu.be/Lug0ffByUck