मन्त्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं कपीश्वर ओम् ऐं ह्रीं हनुमते रामदुते लंकविधवंसने अंजनी गर्भ सम्भुतय शकिनि डाकिनी विध्वंसनाय किलकिली बुबुकरेन विभीषण हनुमददेवय ओम ह्रीं ह्रीं हं फट् स्वाहा तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ॥१२॥ सहस बदन तुह्मारो जस गावैं । अष्ट सिद्धि नवनिधि के दाता। अस बर दीन जानकी माता॥ Your https://vashikarantotke01000.tinyblogging.com/examine-this-report-on-hanuman-chalisa-79272825